top of page

पुस्तकें

Writor 3.png

संकलित कहानियाँ’

नेशनल बुक ट्रस्ट (कहानी संग्रह), 2021

ये कहनियाँ किसी स्थान विशेष से नहीं बँधी है और किसी विचारधारा से तो बिल्कुल ही नहीं। कहने को तो भूमंडलीकरण के कारण सारा संसार एक आँगन बन गया है। लेकिन घर के आँगन सिमट रहे हैं, परिवार बिखर रहे हैं। हम भी ऐसी मशीनों में तब्दील हो रहे हैं जिनमें न साँस चलती है, न दिल धड़कता है। सबको 'अर्थ' खा गया है। बस यही बात मुझे व्यथित करती है। इसलिये, बात कहीं की भी हो, घूम फिर कर यही स्वर मेरी कहानियों में बार-बार उभर आता है।

Writer 2.png

मौन मुखर जब

अनामिका प्रकाशन इलाहाबाद (काव्य संग्रह), 2015

दिल छोटा सा,

रुई का फाया,

बुन दिया तो सैकड़ों की पहरन,

वरना रेशा-रेशा बिखर जाएगा।

- इसी संग्रह से ...

नौंवे दशक का हिंदी निबंध साहित्य एक विवेचन 

2002

2002 में 'नौंवे दशक का हिंदी निबंध साहित्य एक विवेचन - नौवें दशक के 23 निबंधकारों की 400 से अधिक हिंदी ललित निबंधों के विश्लेषण का सार प्रस्तुत करता यह प्रबंध हिंदी ललित निबंध के प्रमुख सोपानों और प्रमुख निबंधकारों की रचनाओं का कथ्य और शिल्पगत वस्तुनिष्ठ चित्रण करते हुए उनके वैशिष्ट्य को उद्घाटित करता है । निबंधकारों की तीव्र चिंता और जीवन में ऊर्धवगामी मूल्यों को बनाए रखने की महत् आकांक्षाको प्रभावशाली रूप में संप्रेषित करनेवाली नूतन भाषा शौलियों- कोड मिश्रण, प्रश्न मालिका, लेखीय उपकरण , चेतना प्रवाह आदि के इस विधा में प्रवेश को पहली बार रेखांकित करता है

Writer 1.png

संपादन

Editor 2.png

ब्रिटेन की चयनित रचनाएँ-  ‘गंगा के पार से टेम्स के द्वार से’ 

आईसेक्ट पब्लिकेशन, भोपाल, 2023

रविंद्रनाथ विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति संतोष चौबे ने साहित्य और कला के वैश्विक मेले के माध्यम से प्रवासी साहित्य की रचनात्मकता और महत्ता को पुनर्स्थापित किया है। ब्रिटेन के हिंदी उर्दू के प्रसिद्ध शायर श्री सोहन राही ने कहा है – कोयल कूक पपीह बानी ना पीपल की छाँव , सात समंदर पार बसाया हमने ऐसा गाँव। सच है। यह पुस्तक ब्रिटेन में रचे जा रहे हिंदी गद्य की एक झलकी मात्र है।

Editor 4.png

जाकी रही भावना जैसी (डॉ. केशव प्रथमवीर अभिनंदन ग्रंथ)

सह संपादक डॉ. चेतना राजपूत), पराग बुक्स, 2021

यह पुस्तक पुणे विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के भूतपूर्व विभागाध्यक्ष एवं आचार्य डॉ. केशव प्रथमवीर की एक अध्यापक के रूप में वैचारिकता और सामाजिक प्रतिबद्धता को प्रकाशित करती है, विषम बीहड़ में अपनी राह खोजने की, किसान से विश्वविद्यालय के आचार्य बनने तक की यात्रा को उनके गुरुजनों, सहकर्मियों, सहयोगियों, प्रियजनों और परिचितों की दृष्टि से उद्घाटित करती है।

Editor 1.png

परि भारत में किसान न बनइयो 

डॉ. केशव प्रथमवीर, अनुभव प्रकाशन, दिल्ली, 2018

पुणे से प्रकाशित हिंदी का पारिवारिक पत्रिका ‘समग्र दृष्टि’ (प्रकाशक श्री कपूरचंद अग्रवाल) के 32 संपादकीय लेखों का संकलन है। डॉ. केशव प्रथमवीर द्वारा लिखितसे संपादकीय किसी भी राजनीतिक दल विशेष या विचारधारा के प्रभाव से मुक्त हैं। ये सभी लेख देश और समाज से जुड़े किसी ज्वलंत अथवा उपेक्षित किंतु

महत्वपूर्ण विषय को उठाते हैं। अपनी स्पष्टवादिता, निर्भयता, स्वतंत्र दृष्टि, तलस्पर्शी चिंतन और ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ के तत्त्वों से कालजयी बन जाते हैं।

Editor 3.png

मन के मन के' रामनारायण सिरोठिया, (काव्य संग्रह)

अनामिका प्रकाशन, इलाहाबाद, 2016

मानव मन की विविध भावनाओं का हृदयस्पर्शी चित्रण करती, मानवीय संबंधों की पड़ताल करती, आपसी रिश्तों की गरमाहट को टटोलती, मानवीय मूल्यों की स्थापना करती, सरल भाषा में लिखी 64 भावपूर्ण रचनाएँ । -

अब सोचन से कुछ नहीं, आगे का रख ध्यान।

पुनरावृत्ति , गलती न हो , होगा सब कल्याण।।

© 2024 Dr. Vandana Mukesh. All Rights Reserved.

This website and its content, including all text, images, and creative works, are the intellectual property of Dr. Vandana Mukesh unless otherwise stated. Reproduction, distribution, or use of any material without prior written permission is strictly prohibited. 

यह वेबसाइट और इसकी समस्त सामग्री, जिसमें सभी पाठ, चित्र और रचनात्मक कार्य शामिल हैं, डॉ. वंदना मुकेश की बौद्धिक संपत्ति है, जब तक अन्यथा उल्लेख न किया गया हो। किसी भी सामग्री की पुनरुत्पत्ति, वितरण या उपयोग बिना पूर्व लिखित अनुमति के सख्त वर्जित है।

bottom of page